मानव जीवन पर ग्रहों का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है I ग्रहों में व्यक्ति के सृजन एवं संहार की जितनी प्रबल शक्ति होती है उतनी ही शक्ति रत्नों में ग्रहों की शक्ति घटाने तथा बढ़ाने की होती है I रत्न की इसी शक्ति के उपयोग के लिए इन्हे प्रयोग में लाया जाता है I
क्यों पहनें रत्न ?
नवग्रहरत्न धारण एक वैज्ञानिक रोग निवारण विधि है, जिसे हम कलर थेरेपी भी कहते हैं I जैसा की तथाकथित कुछ लोगों द्वारा चमत्कारिक फल प्राप्ति का प्रचार किया जाता है, रत्न धारण से साधारण तौर पर ऐसा कुछ होता नहीं है I इसे धारण करने से मनुष्य को धीरे धीरे ऐश्वर्य स्वास्थ्य एवं आर्थिक लाभ होते है I भाग्य परिवर्तन में रत्नों का योगदान अवश्य रहा है I आप हर सौ लोगो में करीब अस्सी लोगों को रत्न की अंगूठी पहने देखतें है I
किस प्रकार बनते हैं रत्न ?
ऋग्वेद के अनुसार रत्नों की उत्पत्ति में अग्नि सहायक होती है I भूमि के गर्भ में जब विभिन्न रासायनिक तत्व आपस में मिलते हैं, तो भूमि की अग्नि से पिघलकर रत्न बनते हैं I इस रासायनिक प्रक्रिया में तत्व आपस में एकसाथ होकर विशिष्ट प्रकार के चमकदार, आभायुक्त रत्न बन जाते हैं तथा इनमे कई गुणों का प्रभाव भी समायोजित हो जाता है I खनिज रत्नों में कार्बन, मैंगनीज़, सोडियम, ताम्बा, लोहा, फॉस्फोरस, बेरियम, गंधक, जस्ता, कैल्शियम जैसे तत्वों का संयोग होता है I इनके कारण ही रत्नों में रंग रूप, कठोरता व आभा का अंतर होता है I
कहाँ पाए जाते हैं रत्न ?
ज्यादातर रत्न समुद्री इलाकों व पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं I ये अफ्रीका महाद्वीप के काँगो, घाना, एवं ब्राज़ील, बर्मा, भारत, श्रीलंका,अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा रूस आदि विभिन्न देशों में पाए जाते है I
क्या रत्न का वजन सवाया होना आवश्यक है ?
यह सर्वथा आवश्यक नहीं की वजन सवाया ही हो, क्योकिं जो वजन एक इकाई में सवाया होता है, वह दूसरी इकाई में पौना हो जाता है, जैसे पौने पांच कैरट लगभग सवा पांच रत्ती हो जाती है I अतः रत्न का कुल वजन मुख्य है, न कि सवाया होना I
क्या शरीर से रत्न का स्पर्श आवश्यक हैं ?
रत्न का शरीर से स्पर्श अति आवश्यक हैं, केवल हीरे को छोड़ कर, जो प्रतिबिंब से काम करता है I लॉकेट आदि में भी रत्न इसी प्रकार छूते हुए जड़वाने चाहिए I लेकिन उंगली रश्मियों को आत्मसात करने में अधिक सक्षम होती है I अंगूठी में जितने वजन का रत्न पहनने की सलाह दी गई है, लॉकेट में उससे ज्यादा वजन का रत्न पहनना चाहिए I अतः रत्न को अंगूठी में पहनना ही श्रेष्ठ है I
ग्रहरत्न क्या खरीद के बाद वापस किये जा सकते है ?
कुछ ग्रहरत्नों को छोड़कर सारे रत्न वापिस हो सकते है लेकिन एक निश्चित अवधि के अंदर I रत्न विक्रेता साधारण तौर पर ऐसा प्रचार करते है, रत्न भलीभांति देखकर लें, बिक्री के एकदिन बाद भी वापिस नहीं होगा I हम मानते हैं, ऐसा उचित नहीं हैं क्योकि किसी भी कारणवश ग्राहक को वह रत्न अनुपयुक्त लग सकता है, या कुछ दिनों बाद वह रत्न गलत सलाह की वजह से प्रतिकूल असर भी दिखा सकता है I ऐसी परिस्थिति में ग्राहक के पास वापिस देने का मार्ग खुला रहना चाहिए, वरना उनके सारे के सारे पैसे बेकार हो जायेंगे I यह कोई सोने – चांदी के गहने तो है नहीं की और कही वापिस देकर पैसे ले सके I कुछ शर्तों के साथ ग्रहरत्न वापसी का प्रावधान अवश्य है ।
कुछ साल व्यवहार के बाद क्या ग्रहरत्न असरदार नहीं रहते ?
ऐसी मानना बिलकुल भी सही नहीं है I जरा सोचिये – जिन रत्नो को प्राकृतिक तौर पर बनने में लाखों साल लगे होंगे, वह रत्न 2 – 3 – 4 सालों में बेअसरदार हो जाते हैं, ऐसी धारणा फैलाना बिलकुल गलत है I हाँ, लम्बे समय तक व्यवहार के दौरान रत्न में खरोंच आदि लग सकते है, जिसकी वजह से असर कुछ कम हो सकता है I लेकिन कुछ सालों तक पहनने के बाद रत्न का असर समाप्त हो जाता है, ऐसी धारणा सही नहीं है I